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EASTERN ECONMIC EDITION
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मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा और भ...


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मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा और भारत की विधि (MANAV ADHIKARON KI SARVABHOM GHOSHNA AUR BHARAT KI VIDHI)

Pages : 48

Print Book ISBN : 9788120340459
Binding : Paperback
Print Book Status : Available
Print Book Price : 50.00  40
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eBook ISBN : 9789354438424
Ebook Status : Available
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Description:


संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में यह कथन था कि संयुक्त राष्ट्र के लोग यह विश्वास करते हैं कि कुछ ऐसे मानवाधिकार हैं जो कभी छीने नहीं जा सकते, मानव की गरिमा है और स्त्री-पुरुष के समान अधिकार हैं | इस घोषणा के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र संघ ने 10 दिसम्बर 1948 को मानव अधिकार की सार्वभौम घोषणा अंगीकार की |

इस घोषणा से राष्ट्रों को प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ और वे इन अधिकारों को अपने संविधान या अधिनियमों के द्वारा मान्यता देने और क्रियान्वित करने के लिए अग्रसर हुए | राज्यों ने उन्हें अपनी विधि में प्रवर्तनीय अधिकार का दर्जा दिया |

इस पुस्तक में घोषणा के पाठ के साथ-साथ लेखक ने टिप्पणियां देकर अधिकारों के विस्तार को बताया है |

भारत ने जब अपना संविधान बनाया तब इस घोषणा को हुए बहुत थोड़ा समय हुआ था | किंतु हमने अपने संविधान में इस घोषणा में समाहित अधिकारों को स्थान दिया | आगे चलकर कुछ अधिकार अधिनियमों में समाहित किए गए, कुछ न्यायालयों के निर्णय के द्वारा आए |

इस पुस्तक में संविधान के सुसंगत अनुच्छेदों और अधिनियमों की धाराओं के प्रति निर्देश है | उन सब निर्णयों का भी उल्लेख है जिनके द्वारा मानवाधिकार लागू किए गए हैं |

यह एकमात्र ऐसी पुस्तक है जिसमें घोषणा के अनुच्छेदों के समानांतर भारतीय विधि के उपबंध दिए गए हैं |

लेखक की पुस्तक मानव अधिकार प्रसंविदाएँ और भारतीय विधि इस पुस्तक की पूरक है | दोनों को पढ़कर मानवाधिकार के विषय में पूर्ण जानकारी मिलती है |

यह पुस्तक उन विधार्थियों के लिए अत्यंत लाभदायी है जो राजनीतिशास्त्र, विधि या अन्य विषय के भाग के रूप में मानवाधिकार का अध्ययन कर रहे हैं |

यह उनके लिए विशेष सहायक है जो विभिन्न लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा या न्यायिक सेवा की परीक्षा में सफल होने की कामना रखते हैं |

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